आपका हर दिन आसान बनाने में लगी हुई है। लेकिन अब एक ऐसी खबर सामने आई है जो सच में आपको हैरान कर देगी। चाइनीज स्टार्टअप कंपनी Betavolt ने एक ऐसी बैटरी बनाने का दावा किया है जो 50 साल तक बिना चार्ज किए काम करेगी। यानी अब आपको हर रोज़ फोन चार्ज करने, या फिर इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं होगी। यह बैटरी टेक्नोलॉजी का एक बड़ा क्रांतिकारी कदम है, जो एनर्जी स्टोरेज के तरीके को हमेशा के लिए बदल देगी।
क्या है यह नई बैटरी टेक्नोलॉजी?
Betavolt की यह बैटरी न्यूक्लियर एनर्जी पर आधारित है। यानी इसमें परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल किया गया है। इस बैटरी का साइज एक सिक्के जितना है, लेकिन इसकी पावर क्षमता किसी बड़े पावर सोर्स जैसी है। इसका साइज 15x15x15 क्यूबिक मिलीमीटर है और यह 3V पर 100MW की पावर डिलीवर कर सकती है। यह बैटरी इतनी शक्तिशाली है कि इसे सिर्फ एक बार इस्तेमाल करने के बाद आपको 50 साल तक चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
50 साल की बैटरी लाइफ! मगर कैसे?
इस बैटरी की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे चार्ज करने की जरूरत ही नहीं होगी! इसकी एनर्जी सोर्स न्यूक्लियर डिके (Nuclear Decay) यानी न्यूक्लियर तत्वों के धीरे-धीरे टूटने से मिलने वाली एनर्जी है। चूंकि यह बहुत ही धीरे-धीरे होता है, इसलिए बैटरी लगभग 50 साल तक लगातार पावर सप्लाई देती रहेगी!
क्या यह सेफ है?
बिल्कुल! Betavolt का दावा है कि यह बैटरी आग, झटकों (Jerks) और हाई-टेम्परेचर सेफ है। यह -60°C से +120°C तक आराम से काम कर सकती है! यानी बर्फीले पहाड़ों से लेकर रेगिस्तानों तक, कहीं भी इस्तेमाल हो सकती है।
कैसे काम करती है यह बैटरी?
इस बैटरी के अंदर 63 न्यूक्लियर आइसोटॉप लगे हुए हैं, जो कॉम्पैक्ट रूप से स्थापित किए गए हैं। साथ ही, इसमें निकेल-63 की परत और 10-माइक्रोन थिकनेस वाले डायमंड सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल किया गया है। यह डायमंड सेमीकंडक्टर बैटरी को और भी मजबूत और टिकाऊ बनाते हैं।
इस बैटरी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे बार-बार चार्ज करने की जरूरत नहीं होगी। इससे न सिर्फ आपकी जिंदगी आसान होगी, बल्कि पर्यावरण पर भी इसका कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। जब यह बैटरी खत्म हो जाएगी, तो इसके अंदर मौजूद एटॉमिक आइसोटॉप नॉन-रिएक्टिव कॉपर (तांबे) में बदल जाएंगे, जो पर्यावरण के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।
बैटरी का इस्तेमाल कहां-कहां किया जा सकता है?
इस बैटरी का उपयोग कई हाई-टेक और ड्यूरबल मशीनों में किया जा सकता है। जैसे कि एयरोस्पेस, मेडिकल उपकरण, यूएवी (ड्रोन), रोबोटिक्स, सेंसर और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) में। इसका उपयोग इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और भारी मशीनरी में भी हो सकता है। चूंकि यह बैटरी बार-बार चार्जिंग की आवश्यकता को खत्म करती है, इसे ऐसे उपकरणों में इस्तेमाल किया जा सकता है जहां लंबे समय तक पावर की आवश्यकता हो।
क्या स्मार्टफोन्स में भी इस्तेमाल होगी यह बैटरी?
अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि क्या इस बैटरी का इस्तेमाल हमारे स्मार्टफोन या गैजेट्स में भी होगा? फिलहाल, यह बैटरी ज्यादा टिकाऊ और हैवी-ड्यूटी मशीनों के लिए बनाई गई है, जैसे कि ऑटोमोटिव सेक्टर (इलेक्ट्रिक कार और ट्रक) और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में। स्मार्टफोन और अन्य हल्के डिवाइसों में इसका उपयोग कम होने की संभावना है।
कब तक मिलेगी यह बैटरी?
Betavolt का कहना है कि वह इस साल से 1W की बैटरी का प्रोडक्शन शुरू कर देगा। यानी जल्द ही हमें मार्केट में इस तरह की बैटरी देखने को मिल सकती है। हालांकि, इसकी कीमत क्या होगी, यह अभी साफ नहीं है। लेकिन इतना तो तय है कि यह बैटरी टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक बड़ा बदलाव लाने वाली है। हमें बार-बार चार्जिंग के झंझट से छुटकारा मिल जाएगा और एनर्जी स्टोरेज का तरीका हमेशा के लिए बदल जाएगा।
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