आज के दौर में जब दुनिया अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, भारत भी सोलर पावर में बड़े कदम उठा रहा है। खास बात यह है कि भारत ने सोलर प्लांट्स को ज़मीन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि पानी के ऊपर भी बिजली बना रहा है! इस आर्टिकल में हम जानेंगे भारत के 3 प्रमुख फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स के बारे में, जो सचमुच “पावर का समंदर” बना रहे हैं।
रामागुंडम फ्लोटिंग सोलर प्लांट (तेलंगाना) – 100 मेगावाट

तेलंगाना के रामागुंडम स्थित यह फ्लोटिंग सोलर प्लांट भारत के सबसे बड़े और अनोखे सोलर प्रोजेक्ट्स में से एक है। इसकी 100 मेगावाट क्षमता के साथ यह प्लांट पावर जेनरेशन के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित हो रहा है। इस परियोजना को NTPC ने स्थापित किया है और यह करीब 450 एकड़ के जलाशय में फैला हुआ है। 2022 में 80 मेगावाट की प्रारंभिक क्षमता के साथ चालू हुआ यह प्लांट अब 100 मेगावाट की क्षमता के साथ काम कर रहा है।
इस फ्लोटिंग सोलर प्लांट की एक खासियत यह है कि इसके सभी उपकरण जैसे कि इन्वर्टर, ट्रांसफार्मर और SCADA (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्वीजिशन) सिस्टम फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म्स पर स्थापित किए गए हैं। इस तरह से जल का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए अत्यधिक प्रभावी तरीके से किया गया है, जिससे ज़मीन की बचत भी होती है।
कायमकुलम फ्लोटिंग सोलर प्लांट (केरल) – 92 मेगावाट

केरल का कायमकुलम फ्लोटिंग सोलर प्लांट भारत के बड़े फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिसकी 92 मेगावाट क्षमता है। यह परियोजना NTPC के राजीव गांधी गैस बेस्ड पावर स्टेशन के पास के जलाशयों पर स्थापित की गई है। 2022 में यह प्रोजेक्ट विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए चालू किया गया, जिसमें समुद्र की ऊँची लहरों और जल की गहराई जैसी समस्याएं शामिल थीं।
इस परियोजना में 5 मेगावाट की इन्वर्टर क्षमता भी शामिल है, जो एक तैरते हुए प्लेटफॉर्म पर स्थापित की गई है। यह प्लांट 350 एकड़ जल क्षेत्र में फैला हुआ है और केरल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को बिजली आपूर्ति के लिए डिज़ाइन किया गया है।
पंचेत डैम फ्लोटिंग सोलर प्लांट (झारखंड और पश्चिम बंगाल) – 75 मेगावाट

पंचेत डैम फ्लोटिंग सोलर प्लांट झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित है। यह लार्सन एंड टुब्रो द्वारा स्थापित किया गया और दामोदर वैली कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित किए जा रहे “Ultra Mega Renewable Energy Power Park” का हिस्सा है। इस प्लांट की 75 मेगावाट क्षमता है, जो जलाशयों का उपयोग करके सोलर पावर उत्पन्न करता है। यह पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल है और भू-क्षेत्र पर दबाव नहीं डालता है।
पानी के ऊपर सोलर प्लांट लगाने से क्या लाभ है?
फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स पारंपरिक सोलर प्लांट्स से कई मायनों में बेहतर साबित हो रहे हैं। सबसे पहले, ये जमीन की बचत करते हैं, जिससे कृषि भूमि पर दबाव नहीं बढ़ता। इसके अलावा, जलाशयों की सतह पर तैरते हुए, पानी का तापमान नियंत्रित रहता है, जिससे सोलर पैनल्स की एफिशिएंसी बढ़ जाती है। यह प्लांट्स जल वाष्पीकरण को भी कम करते हैं, जो जल संरक्षण में मददगार साबित होते हैं।
भारत के ये फ्लोटिंग सोलर प्लांट्स न केवल बिजली उत्पादन के नए रास्ते खोल रहे हैं, बल्कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को और मजबूत बना रहे हैं। यह कदम भारत के सोलर पावर के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हो सकता है!
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